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डीएफओ सहाब कही किसी ग्रामीण की मौत का कारण न बन जाए - रेंजर लक्षमण सिंह मीणा वन विभाग की जमीन पर कब्जे की शिकायत करने पर दो पक्षो में विवाद, जमकर चले लाठी ढंडे

शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025

 डीएफओ सहाब कही किसी ग्रामीण की मौत का कारण न बन जाए - रेंजर लक्षमण सिंह मीणा 

वन विभाग की जमीन पर कब्जे की शिकायत करने पर दो पक्षो में विवाद, जमकर चले लाठी ढंडे 

शिवपुरी। करैरा रेंज की मामौनी बीट में वन विभाग की जमीन से अतिक्रमण हटाने की शिकायत करने पर दो पक्षो में जमकर लाठी ढंडे चले है मामले में क्रॉस कायमी भी दर्ज हुई है वन विभाग की जमीन से अतिक्रमण हटाने को लेकर मामौनी बीट मेंं लम्बे समय से विवाद चला आ रहा है लेकिन वन विभाग के अधिकारियो की मिली भगत से अतिक्रमणकारी दबंग जमीन से कब्जा नही हटाता है। शिकायत के बाद भी वन विभाग की जमीन से कब्जा नही हटे तो यह कहना गलत नही होगा कि क्या रेंजर लक्षमण सिंह मीणा इस अतिक्रमणकारी के चक्कर में किसी ग्रामीण की मोत का कारण बनेगें...?। यहां सर्वे नम्बर 1036,1548 के पास में महरवान पाल, अहीलाल, कैलाश पाल, रमेश पाल, के परिवार ने करीब 15 से 20 बीघा जमीन पर कब्जा कर रखा है इस जमीन को कब्जा से मुक्त कराने के लिए महेन्द्र पाल, जसमंत गुर्जर, हाकिम गुर्जर, शरवन आदिवासी, लोकेन्द्र गुर्जर, मोहन आदिवासी, आदि मामौनी गांव के लोग लगे हुए है खास बात यह है कि इस जमीन से गांव के लोगो का खेतो तक जाने का रास्ता भी निकालना है जिसको लेकर ग्रामीणो ने 14 अक्टूबर को ऐडीएम शिवपुरी को एक ज्ञापन सौपा था ऐडीएम ने ज्ञापन को वन विभाग के एसडीओ व पुलिस विभाग के एसडीओपी को मार्क किया था लेकिन जब इस बात का पता महरवान पाल के परिजनो को लगा तो उन्होने महेन्द्र पाल के परिवार पर हमला बोल दिया इस घटना में दोनो पक्षो की तरफ से जमकर लाठी ढंडे चले है मामला थाने तक पहुंचा तो पुलिस ने क्रॉस केस दर्ज किया है। खास बात तो यह है कि डीएफओ सुधाशु यादव ने इसी बीट में करीब 100 बीघा प्लाटेशन की जमीन से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे जिसमें से करीब 80 बीघा जमीन से अतिक्रमण हटाकर प्लाटेशन करा दिया गया है लेकिन करीब 20 बीघा जमीन पर अभी भी वन विभाग के अधिकारियो की मिली भगत से कब्जा मुक्ता नही हो सकी है अभी भी वर्तमान में उस जमीन पर महरवान पाल के परिवार का कब्जा है जिसको लेकर लाडी ढंडे चले है। अगर अब इतनी बडी घटना के बाद भी अतिक्रमण नही हटता है तो वन विभाग का यह अतिक्रमण शायद किसी ग्रामीण की मौत का कारण बने। 

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