वरिष्ट अधिकारियो को बालकृष्ण ओझा को बीआरसी के पद से हटा देना चाहिए
डीपीसी ने बीआरसी को जांच के लिए बोला बीआरसी बोले मेरे पास जांच करने अभी टाइम नही
जिस काम के लिए विभाग ने दिया पद उसी के लिए बीआरसी के पास टाइम नहीं
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शिवपुरी। शिक्षा विभाग में बीआरसी के पद पर पदस्थ बालकृष्ण ओझा को बीआरसी के पद से हटा देना चाहिए क्योंकि वह इस पद पर रह कर अपनी जिम्मेदारियों का सही से निर्वहन नही कर पा रहे है। हम ऐसा इस लिए कह रहे है क्योंकि शासन ने जिस काम के लिए उन्हे इस पद पर पदस्थ किया है उस काम के लिए उनके पास टाइम नहीं है। इसलिए उनसे यह पद वापस ले लेना चाहिए। पिछले दिनो सूढ़ ग्राम पंचायत में स्थित शिवनगर शासकीय प्राथमिक विधायलय जो महिनो से नहीं खुला था जिसके न खुलने से गरीब आदिवासी अपने बच्चो को प्राईवेट ट़यूशन 300 रुपये प्रति माह देकर बढाने के लिए मजबूर हुए, जब हम स्कूल पहुचें तो स्कूल बंद मिला और स्कूल के समय आदिवासी अपने बच्चो को ट़यूशन बढाते मिले थे इसके बाद यह खबर अखबारो में प्रकाशित हुई और डीपीसी ने मामले को संज्ञान में लेकर बीआरसी को जांच करने के लिए निर्देशित किया लेकिन फिर भी ऐसे गंभीर मामले की जांच करने के लिए बीआरसी बालकृष्ण ओझा को टाइम नहीं है। जब इस मामले को लेकर बात की गई तो उन्होने कहा की अभी मेरे पास टाइम नहीं है जब कभी टाइम मिलेगा तब जांच करेंगें। अब सवाल ऐ उठता है कि जिस काम के लिए यह महिने में हजारो रुपये की सैलरी पा रहे है अगर वही काम नही करेंगे तो उन्हें इस पद से हटा देना चाहिए। ac की हवा और हजारो रुपये की सैलरी पाकर पेट बाहर निकालकर घूमने वाले बीआरसी से इस पद को विभाग को वापस ले लेना चाहिए।
यह था मामला
आदिवासी बच्चे 300 रु में प्राइवेट ट्यूशन बढने को मजबूर है।
शिवपुरी जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत सूढ के शिवनगर शासकीय प्राथमिक विधालय जो काफी समय से नही खुला था इस स्कूल में दो शिक्षक मैघा पाराशर, राजेश पदस्थ है इस गांव में आदिवासी लोग अधिक रहते है जिनके करीब 50 से 70 बच्चे है। स्कूल ना खुलने की वजह से आदिवासी अपने बच्चो को प्राइवेट ट्यूशन पढाने के लिए मजबूर है जब हम स्कूल पर पहुंचे तब स्कूल समय में उसमें ताला लगा था और बच्चो गांव में प्राइवेट ट्यूशन ले रहे थे गांव वालो ने बताया कि यहां पदस्थ शिक्षक महीने में एक दो बार स्कूल खुलता है जिससे बच्चो की पढाई नही हो पाती है इसलिए हम प्राइवेट टयूशन पढाने के लिए मजबूर है।
शिक्षा विभाग के हालातो को सुधारने एक माह काफी है।
अब सवाल यह उठता है कि विभाग में अन्य अधिकारी कर्मचारी क्या कर रहे है सरकार ने विभाग में किसी को निरीक्षण करने का पावर नही दिया क्या.....? या फिर अधिकारी ऐसी की हवा में बैठकर ऐसे ही अपनी सैलरी पाते रहेगें। शिक्षा विभाग में हालात सुधारने के लिए केवल एक माह का समय ही काफी है अगर कोई जिला शिक्षा अधिकारी ईमानदारी से अपना कार्य करता है और लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों पर सख्त कार्यवाही करता है तो केवल एक माह में ही हालात सुधारे जा सकते है। शिक्षा के ऐसे हालात अन्य कई ब्लोको में भी बने हुए है और विभाग के अधिकारी नींद में सो रहा है। पिछले डीईओ की बात करे तो एक रंगबाजी में सस्पेंड होकर चले गए दूसरे भ्रष्टाचार व शिक्षा का स्तर गिरने पर डिमोशन होकर स्थानांतरण हो गया अब तीसरे आखो पर पटटी बांध कर बैठे है।
आपने कहा
आपने खबर प्रकाशित की है आपने मुझे भी शेयर की है मेरे पास डीईओ साहब का भी मैसेज आया है मैंने बीआरसी को जांच के लिए बोला है मैं उन्हे पूछ लेता हूँ अभी हुई है या नहीं।
दफेदार सिंह सिकरवार
आपने कहा
आपके मामले में जांच करना है अभी मेरे पास टाइम नही है जब टाइम मिलेगा तबी होगी।
बाल कृष्ण ओझा बीआरसी

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